सोमवार, 10 सितंबर 2007

''ग्लैमरस की दुनिया'' एक बदरंग हकीक़त

ग्लैमरस कि दुनिया सुनकर ही अंदाज़ा हो जाता है कि कितनी हसीन होगी ये दुनिया, क्या है ये ? आधुनिकता का लिबास पहने हुए लोग, शानो-शौकत से लबरेज़ जिन्दगी! आख़िर क्या है इस सतरंगी सपने का सच? लेकिन जितनी खूबसूरत ये दुनिया है उससे कंहीं ज्यादा कड़वा सच है इस दुनिया मे अपनी किस्मत आजमाने वालों का आख़िर क्या है इस दुनिया मे? क्या हर शख्स इसकी सच्चाई से वाकिफ नही?
आजकल के इस युग मे जहाँ तक कैरियर का सवाल होता है तो दस मे से आठ युवा अपनी किस्मत माडलिंग मे आज़माना चाहते हैं। शायद युवा अभी इसके दूसरे रूप से अनजान हैं। लोग कहते हैं कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है लेकिन, लेकिन इस फिल्ड में आपको अक्सर एसे लोगों से मुलाक़ात होगी जिन्होंने कुछ पाकर खो दिया। जी हाँ जिन्होंने माँडलिंग के चक्कर में पड़कर अपनी जिन्दगी को खो दिया या जो मंज़िल पे पहुंच कर नशे के आदि हो गए और अपनी जिन्दगी को बर्बाद कर लिया। एसे आपको कई उदाहरण देखने को मिल जायेगें।
गीतांजली नागपाल भी उन्ही उदाहरणों में से एक है जो ९० के दशक कि एक बेहतरीन मॉडल थी लेकिन अब दिल्ली के हौज़-खास के गाँव की वीरान गलियों में भटकती फिरती है। वह अब रोटी मांगती भिखारिओं की तरह दिखती है और अपनी रातों को मंदिरों में गुज़ारती है। जिसके लिए कल कई कम्पनी पैसा लगाने को तैयार थी आज उसको देखने वाला भी कोई नही। गीतांजली ने अपनी ज़िन्दगी नशे के चक्कर में बर्बाद कर ली। वह लडकी आज नशीली दवाओं और शराब कि आदि हो चुकी है। नशा करने के लिए घर पर पैसे मांगने के कारण उसके घरवालों ने भी उससे अपना दामन झाड़ लिया है। उसके परिवार के सदस्यों का कहना है कि गीतांजली ने धीरे-धीरे गलैमर से नशे को अपना लिया है और अपनी मानसिकता को खो दिया है। डाक्टरों का कहना है कि गीतांजली मानसिक तौर से ठीक नही, वो नशा करने कि आदि हो चुकी है।
और सच्चाई भी यही है कि आज इस फिल्ड में जाने के लिए युवा कुछ भी करने को तैयार है चाहे उन्हें अपने फिगर को शेप-अप करने के लिए सिगरेट, शराब का सहारा लेना पड़े या पर्दे पर आने के लिए कास्टिंग काउच से गुज़ारना पड़े। शायद युवा पिड़ी आधुनिकता कि चमक में अंधी हो गई है उसे हर चमकती चीज़ सोना नज़र आ रही है। लेकिन इस युवा पीड़ी को कौन समझाये कि हर चमकती चीज़ सोना नही होती है। तो यही है ग्लैमरस कि दुनिया कि बदरंग हकीक़त जिसमें रंगकर कुछ ही लोग सफलता कि ऊँचाइयों को छू पाते हैं और कुछ लोग राक्ह जाते हैं गुमनामी के अँधेरे में। और जिनकी ज़िन्दगी यूं ही खामोशी से दम तोड़ देती है।

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