सोमवार, 15 फ़रवरी 2010

कलम से कैमरे तक



बात उन दिनों की है जब मुझे नया नया पत्रकारिता का भूत सवार हुआ था उस वक़्त मैं दसवीं कक्षा में पढता था दिल में जनून था कुछ करने का दिमाग में सोच थी कुछ कर दिखने की दसवी क्लास से ही मैंने अखबारों में लेख लिखने शुरू कर दिए मेरे कई लेख प्रकाशित भी हुए जिससे मेरे ऊपर चढ़ा पत्रकारिता का जनून और बढ़ गया मैंने ठान लिया की मैं एक दिन पत्रकार जरूर बनूगा एक अच्छा पत्रकार बात यहीं ख़त्म नहीं होती मुझे लिखने का इतना शौक था की कलम की ताक़त को मैं अपने अल्फाजों में उतारता चला गया मैं कुछ इस तरह के अल्फाज़ भी लिखने लगा था जिन्हें अगर एक मुक्तक में पिरो दिया जाए तो वो शेर बन जाता था जब मै वो शेर लोगों को सुनाता तो लोग उसकी तारीफ कर देते बस चंद लोगों की हौंसला अफजाई ने मुझे दो साल में ही मुझे शायर भी बना दिया

मैंने ग्यारवी और बारवी यानी दो साल तक अपनी कलम की ताक़त को बरक़रार रखा क्यूंकि मुझे कलम की ताक़त दिखानी थी मैं एक अदना सा तारिक अंसारी था लेकिन दो रूपये के कलम ने मुझे लाखों का चाहीता तारिक अंसारी बना दिया स्कूल के उन दो सालों मैंने वो सबकुछ कर लिया था जो एक अच्छा पत्रकार बनने में मेरी मदद करता कई बार मैंने डिस्टिक लेवल के मुशायरे भी अटेंड किये जिनमे मुझे काफी सराहना मिली यानी मुझे अपने जिले बिजनौर के छोटे से तहसील नजीबाबाद में दो साल तक लोगों ने अपनी मुहबत्तों से काफी नवाज़ा अपने शहर के लोगों की हौंसला अफजाई मेरे लिए तरक्की का सबब बन गई मैंने अपनी इंटर की परीक्षा फर्स्ट डिविज़न से पास की और मैं अपनी क्लास में टॉप 5 की गिनती में था फिर मैंने अपने शहर से बहार निकलकर पत्रकारिता की तालीम हासिल करने के बारे में सोचा

खुदा के शुक्र था की मैं अपने माँ बाप और अपने चाहने वालो की दुआ से पुणे के एक कोलेज में पत्रकारिता की तालीम हासिल करने चला गया लेकिन मैं शायद अभी इस लायक नहीं था की मैं पुणे जैसे शहर में धड़ा धड अंग्रेजी बोलने वाले लोगों के बीच पढ़ सकूँ ये मेरे सामने एक बहुत बड़ी चुनौती थी की मैं अपने आप को भी उस माहोल के लायक बना सकूँ मेरा एडमिशन उस कोलेज में हो तो चूका था लेकिन जब कोई मेरे सामने अंग्रेजी बोलता तो मैं उसका जवाब नहीं दे पता था मैं दिल ही दिल में खुदा से दुआ करता की खुदा मुझे भी इस लायक कर दे की मैं इनकी बातों का जवाब इन्ही की भाषा में दे सकूँ मुझे ये बात कहने में कतई भी शर्म महसूस नहीं होती की मैं अपनी क्लास में चंद लोगों से ही बात कर पाता था इसकी वज़ह सिर्फ अंग्रेजी थी

मैंने शुरू के छः महीने अपनी क्लास में सिर्फ 5 या 10 लोगों से ही जान पहचान की थी अगर मेरे सामने कोई अंग्रेजी में बात करता था तो मैं झेंप जाता था लेकिन मैंने यह तै कर लिया था की मुझे आगे बढ़ना है सबसे आगे बस इसी जुस्तुजू ने मुझे मेरी तरक्की तक पहुंचा दिया मैंने छः महीने बाद ही IBN7 मुंबई में इन्टर्नशिप की मैं आपको ये बात बताना चाहता हूँ की क्लास में सबसे पहले इंटर्नशिप मैंने की थी वो भी एक ब्रांड चैनल में IBN7 में मैंने जनाब निशात शम्शी के अंडर में काम किया जिन्हें मैं अपना उस्ताद भी मानता हूँ निशात शम्सी इस वक़्त एनडीटीवी मुंबई में क्राइम के पत्रकार हैं मुझे ये बात कहते हुए ज़रा भी हिचक नहीं की मुझे निशात शम्सी सर ने काफी तराशा मुझे इलेक्ट्रोनिक मीडिया की सारे गुर सिखाये और उन्होंने मुझे जॉब करने के लिए भी कहा लेकिन मैं मुंबई में नहीं रहना चाहता था इसलिए मैंने नहीं की मैंने एक महीने की इंटर्नशिप में बहुत कुछ सीख लिया था मैं खुदा का शुक्रगुज़ार की मैंने अंग्रेजी को न जानते हुए भी इतनी इज्ज़त कमा ली थी अपनी क्लास में

अब मुंबई में मेरे काफी ताल्लुकात बढ़ गए थे कई लोग जानने वाले हो गए थे जब मैं इंटर्नशिप करके पुणे आया था तो मैं अपने 52 स्टुडेंट की क्लास में सबसे अलग ही चमक रहा था मेरा जनून और बढ़ गया था मैंने ये साबित कर दिया था की अंग्रेजी को ही जानने वाला ही सिर्फ आगे नहीं बढ़ता मैंने अपना लिखने का शौक बरक़रार रखा मैं ग़ज़ल भी लिखता था अब मेरी अपनी क्लास में भी हिचक खुल गई थी लोग मुझसे अंग्रेजी में नहीं बल्कि हिंदी में बात करते थे मै एक मैगजीन से जुड़ गया और उसके लिए फ्रीलांसर बन गया इसके साथ साथ मुझे जब भी अपने कोलेज से छुट्टी मिलती अक्सर मैं नौकरी की तलाश में दिल्ली आकर न्यूज़ चैनलों की खाक छानता फिरता अचानक मुझे नोयडा TV100 में असाइनमेंट पे इंटर्नशिप करने का मौका मिला मैंने वहां पर करीब चार महीने काम किया TV100 में काम करके मैं पूरे देश में करीब 500 स्ट्रिंगर मेरा नाम जान चुके थे जिनमे से कई लोग अभी भी मेरे संपर्क में हैं और अभी भी वो मुझे फोन करते रहते हैं सभी लोग मेरे भाई जैसे हैं अब सवाल था की आखिर कब तक मैं इंटर्नशिप करता आखिर पापी पेट का भी सवाल था

१ अगस्त 2009 को मैंने दिल्ली में क़दम रखा पुणे से मैं अपना कोर्स ख़त्म करके आ चूका था अब मैं नौकरी की तलाश में था नौकरी के लिए रोज़ न्यूज़ चैनलों की गलियों में भटकता फिरता था कई लोगों ने मुझे मेरा कोर्स ख़त्म होने के बाद मेरी नौकरी लगवाने के सपने दिखा रखे थे लेकिन जब मैं किसी से इस बारे में बात करता तो वो लोग ताल देते मुझे यकीन हो चूका था की मुझे जो कुछ भी करना है खुद ही करना है मेरा बायो डाटा तकरीबन हर चैनल के बहार बने डब्बों में जा चूका था लेकिन रेस्पोंस कहीं से नहीं मिलता था बस रोज़ सुबह निकल जाता था मैं चैनलों की ख़ाक छानने वैसे तो मैं अपने कोर्स के दौरान ही पिछले ढाई साल से नौकरी की तलाश में भटक रहा था लेकिन अगस्त के महीने में मेरी हिम्मत टूट गई थी मैं परेशान था क्यूंकि अब मेरा कोर्स ख़त्म हो चूका था मैं खाली फिर रहां था आखिर मैं ख़ाली करता तो क्या करता ? मैं ये बात समझ चूका था की मीडिया में आना इतना आसान काम नहीं है और मीडिया में किसी पे भरोसा भी नहीं करना चाहिए क्यूंकि हर शख्स निशात शम्शी जैसा नहीं होता हर आदमी मीडिया में यही चाहता है की मुझसे आगे कोई न बढ़ पाए

जब मैं नौकरी की तलाश में पूरे अगस्त भर भटकता रहा तो अचानक मेरे पास प्रियम की कॉल आई मैं आपको बताना चाहता हूँ की प्रियम मेरी सिनियर थी कॉलेज में उसने मुझे देहरादून से कॉल की थी वो VON में काम कर रही थी उसने मुझे पहले भी कॉल की थी TV100 में भी मेरी इंटर्नशिप उसी ने कराइ थी उसने 27 अगस्त 2009 को कॉल दोपहर २:३० बजे कॉल की थी और कहा था की हमारे चैनल में असाइनमेंट पर जॉब है और तुम्हे कल सुबह 9 बजे तक पहुंचना है मैं उस वक़्त दिल्ली में था मैंने फटाफट एक घंटे के अन्दर अपना सामान पैक किया और देहरादून के लिए निकल पड़ा मैंने अगले दिन जॉब ज्वाइन कर ली मुझे असाइनमेंट पर ही काम मिला क्यूंकि मेरे स्ट्रिंगर भी काफी जानने वाले थे मैंने तीन महीने तक उसी पोस्ट पर काम किया लेकिन जल्द ही मैं क्राइम डिपार्टमेंट में स्क्रिप्टिंग करने लगा और काफी फेमस भी हो गयां कई बार कैमरे के सामने आने का भी मौका मिला अगर आपको मेरी स्क्रिप्ट देखनी है तो यु ट्यूब में जाकर मेरा मोबाइल नम्बर 9548974509 डालिए

अब उसी नजीबाबाद से निकले तारिक अंसारी से असाइंमेंट से लेकर स्क्रिप्टिंग और स्क्रिप्टिंग से लेकर क्राइम का वाईस ओवर तक का काम बखूबी आता है और एक बात मैं आपको ये बात बताना चाहता हूँ, की अंग्रेजी इंसान को ज़रूर सीखनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं है की अगर आपसे अंग्रेजी नहीं आती तो आप बेकार हैं आज मुझे कई बड़े-बड़े चैनलों के ऑफ़र हैं मैं आपको अपने क्लास के स्टुडेंट के बारे में बताना चाहता हूँ की मेरे क्लास में 52 स्टूडेंट थे जिनमे सिर्फ सात लोगों की जॉब लगी है जिनमे एक तारिक अंसारी भी है जो अब क्राइम प्रोडूसर के तौर पे जाना जाता है मेरा ये कहानी लिखने का सिर्फ इतना मकसद है की इंसान अगर चाहे तो कुछ भी कर सकता है