बुधवार, 3 अक्तूबर 2007

राजनीती कि लगती है अलग अदालत

६६ में से ६५ मामलों में नेता बरी
अभी कुछ दिन पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने चिन्ता व्यक्त कि है कि गवाहों के मुकर जाने के कारण अपराधी छवि वाले नेता बरी हो जाते हैं। न्यायालय ने कहा है कि अपराधी छवि रखने वाले नेताओं के खिलाफ मुकदमों में गवाहों का गवाही से मुकार जाना और उनके पक्ष में हो जाने जैसी घटनाएं बहुत ही भयंकर रूप ले रहीं हैं। जिसके कारण वास्तविक पीड़ितों के साथ अन्याय होता है। उन्हें न्याय नही मिल पता।
इस कारण न्यायिक प्रक्रिया भी बाधित होती है। क्योंकि न्याय कि मुख्य भुमिका गवाहों कि होती है। जब गवाह ही बयान से मुकर जायेगें तो न्याय कैसे होगा? और सभी राजनेता अपने धन बल पर गवाहों को अपने पक्ष में कर लेते हैं। हाल ही में निचली अदालत द्वारा, हाई कोर्ट में भेज गए ६६ मामलों में से ६५ मामलों में नेताओं को बरी कर दिया गया जिसका कारण गवाहों का नेताओं के पक्ष में हो जाना या गवाही से पलट जाना है। इस खबर को पढ़कर मुझे बड़ा ही दुःख हुआ अगर ये सिलसिला जारी रहा तो लोगों का विश्वास अदालत से भी उठ जाएगा। और ये नेता बार-बार गुनाह करके बरी होते रहेगें। इन नेताओं को जिन मुकदमों में बरी किया गया उनमें हत्या, लूट, डकैती, भूमि क़ब्जा, अपहरण और फिरौती जैसे संगीन अपराध के मामले भी शामिल हैं। और इन मामलों में नेताओं ने गवाहों को अपने पक्ष में कर लिया चाहे वो पैसे के बल पर किया हो या डरा धमकाकर। और जिसके चलते ये नेता मुकदमा जीतनें में सफल रहे।
अदालत भी फैसला गवाहों कि बुनियाद पर करती है यह भी कानून कि लाचारी है। अदालत सबकुछ जानते हुए भी गवाहों कि वजह से अक्सर गलत फैसला कर देती है। जज सबकुछ जानते हुए भी गवाहों के कारन अन्याय करने को मजबूर रहते हैं। राजनेता अपनी हरकतों से तो बाज़ आयेगें नही मेरे ख़्याल से कानून को उन गवाहों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए जो अपने बयान से पलट जाते हैं जिन्हे कुछ रूपये देकर नेता खरीद लेते हैं।
कुछ मामलें ऐसे भी होगें जिनमे नेता गवाहों को डराते धमकाते होगें तो उनकी पहचान सरकार को गुप्त रखनी चाहिए। कानून जैसा एक साधारण मनुष्य के लिए है वैसा ही इन राजनेताओं के लिए भी होना चाहिए। जब सरकार को पता है कि गवाहों के कारण ये अपराधी नेता बचते रहते हैं तो उन गवाहों के खिलाफ मुकदमा क्यों नही दायर किया।
और उन नेताओं के खिलाफ भी कड़ी कार्यवाही कि जानी चाहिए जिनके गवाह मुकर जाते हैं। उन गवाहों से पूछताछ करके गहराई तक जाया जाये कि आख़िर वो लोग बयान से क्यों पलटे? किस दबाव के कारण उन्होने बयान बदला या क्यों उन्होने रिश्वत ली और क्यों नेता ने उसे रिश्वत दी। रिश्वत देने वाला और लेने वाला दोनो ही अपराधी होते हैं। इस तरह से गवाहों के खिलाफ आवाज़ उठाई तो इन अपराधी नेताओं को सज़ा दी जा सकती है वैसे जहाँ तक मेरा विचार है एक अपराधी नेता हो ही नही सकता।

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